कोण्डागांव, 06 नवम्बर 2024: छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव जिले के एक छोटे से गांव बरकई के रहने वाले अमृत नेताम ने अपनी मेहनत और संघर्ष से यह साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर मन में दृढ़ निश्चय हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। अमृत, जो एक साधारण किसान परिवार में जन्मे थे, आज पुलिस सेवा में प्लाटून कमांडर के रूप में कार्यरत हैं।
अमृत का जन्म देवनाथ नेताम और बुधनी बाई नेताम के घर हुआ था। उनके पिता एक छोटे किसान हैं, जो सीमित संसाधनों के साथ अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन उनकी मां हमेशा यह कहतीं कि “शिक्षा सबसे बड़ा धन है,” और यही मंत्र अमृत के जीवन का मार्गदर्शक बना।
अमृत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की। खेतों में पिता की मदद करने के बाद वह स्कूल जाते और रात को अपनी पढ़ाई करते। उनकी यह कठिन मेहनत और समर्पण उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही।
हाई स्कूल के बाद, अमृत ने पुलिस सेवा में जाने का निश्चय किया और इसके लिए सीजीपीएससी तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। आर्थिक तंगी के बावजूद, उनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें कभी हार मानने नहीं दिया।
अमृत की कड़ी मेहनत का फल तब मिला, जब उन्होंने सब इंस्पेक्टर की परीक्षा पास की और उनका नाम चयनित उम्मीदवारों की सूची में आया। उनके परिवार के लिए यह क्षण बेहद खुशी का था, खासकर उनकी मां के लिए, जिनकी आँखों में आंसू थे, लेकिन ये खुशी के आंसू थे।
अमृत की सफलता न केवल उसके परिवार, बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व का विषय बन गई। गांव के युवाओं ने उसकी सफलता से प्रेरित होकर उससे मिलने और उसे बधाई देने का सिलसिला शुरू किया।
अमृत की यह कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। यह साबित करती है कि मेहनत और समर्पण से कोई भी मुश्किल रास्ता तय किया जा सकता है और हर सपना साकार हो सकता है।
अमृत का जीवन हमें यह सिखाता है कि असंभव को संभव बनाने की शक्ति हमारे अपने हाथ में होती है।