रबि फसलों के सिर्फ उत्पादन पर जोर, समर्थन मूल्य और क्षतिपूर्ति का क्या – पूर्व विधायक छन्नी साहू
राजनांदगांव।जिला प्रशासन द्वारा इन दिनों रबि सीजन में धान की जगह मक्का, गन्ना, दलहन – तिलहन और दूसरी फसलें बोने गांव-गांव में मुनादी करवाई जा रही है। खुज्जी की पूर्व विधायक श्रीमती छन्नी चंदू साहू ने इस अपील को गंभीरता से लेते हुए किसानों से जुड़े सवाल उठाएं हैं। उन्होंने कहा कि, एक ओर भाजपा सरकार गन्ने की बोनस राशि में कटौती करने का आदेश जारी कर रही है। तो दूसरी ओर किसानों से अपील की जा रही है कि वे मिलेट्स और दूसरी फसलों का उत्पादन करें। भाजपा शासन में यह बड़ी भ्रामक स्थिति है। जिसका उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है उसमें ही बोनस की कटौती कर किसानों को हतोत्साहित किया जा रहा है।पूर्व विधायक श्रीमती साहू ने कहा कि, प्रदेश की भाजपा सरकार मक्का, गेंहू, रागी, दलहन, तिलहन, गन्ना और सब्जी की फसल को प्रोत्साहित करने से पहले छत्तीसगढ़ सरकार इनकी खरीदी और समर्थन मूल्य तय करे। उन्होंने कहा कि जिन फसलों का उत्पादन किसानों को करने कहा जा रहा है उससे बड़ा फायदा व्यापारियों को मिलेगा। जबकि भौगालिक परिस्थितियों, मिट्टी की उपजाऊ क्षमता, उसका परीक्षण और गुणवत्ता के साथ ही इस तरह की फसलों के लिए आवश्यक जानकारी, दवा, बीज, खाद और प्रशिक्षण का अभाव है। इन सबके चलते किसानों को इन फसलों के उत्पादन में बड़े नुकसान की भी आशंका है। इस तरह की फसलों को लेकर किसानों को जो आवश्यक जानकारी मिलनी चाहिए वो उनके पास नहीं है। जागरुकता के लिए कार्यशाला और दूसरे तरह के प्रयासों के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गई है। कई कारण है कि किसान ये फसल नहीं ले पाएंगे, जिसमें सबसे बड़ा कारण समर्थन मूल्य है।
आदिवासी, किसान का शोषण
पूर्व विधायक श्रीमती साहू ने कहा कि, मैं हालही में हसदेव से लौटी हूं। वहां अंधाधुन जंगल काटे जा रहे हैं। आदिवासियों के गांव नेस्तानाबूत कर दिए गए हैं। उन पर लाठियां चलाई जा रही है। जल-जंगल-जमीन की लड़ाई लड़ने वाले आदिवासी लहूलुहान हो रहे हैं। पर, निर्दयी और मतलब परस्त सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा। मौजूदा सरकार ने आदिवासी, किसानों का सिर्फ शोषण करने की ठान ली है। उन्होंने कहा कि, 15 अक्टूबर को राज्य शासन ने गन्ना विक्रय पर भुगतान और बोनस का पुर्ननिर्धारण किया है। इसमें किसानों को मिलने वाले गन्ने के बोनस पर 9 रुपए की कटौती की गई है। ऐसे निर्णयों से साफ है कि, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार सुशासन नहीं बल्कि गरीबों, किसानों, आदिवासियों को कुचलने का काम कर रही है।