नृत्य और राधा-कृष्ण के प्रेम से पावन हुई अमझेरा की धरा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पवित्र अवसर पर ”श्रीकृष्ण पर्व”
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पवित्र अवसर पर अमझेरा में श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन हुआ। धार के आनंदीलाल भावेल और साथी कलाकारों ने जहां पारंपरिक आदिवासी गीत-संगीत की प्रस्तुति दी तो वृन्दावन की जया सक्सेना और साथी कलाकारों ने अमझेरा की धरा को बृज प्रेम के रस में भिगो दिया। जया सक्सेना के निर्देशन में 15 कलाकारों ने प्रेम और भक्ति को अपने गीत-संगीत और नृत्य के माध्यम से पिरोया। प्रस्तुति की शुरुआत बृज वंदना, चारों धामों से निराला बृज धाम से की। इसके पश्चात महारास डांडिया, कान्हा रे थोड़ा सा प्यार दे ,पेश कर दर्शकों के मध्य कृष्ण प्रेम का उजियारा फैलाया। आयो रसिया, मोर बनाया रसिया,गीत पर मयूर नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। श्रीकृष्ण के जन्म के उत्सव पर नंद घर आनंद भयो,जन्म भयो हे लाला को जन्म भयो हे,जैसे भजनों के माध्यम से इस बेला को ओर पावन बना दिया। फूलों से सज रहे हैं वृन्दावन बिहारी,गीत पर प्रस्तुति देकर बृज की लठ्ठ मार फूलों की होरी के आनंद को मंच पर जीवंत कर दिया। अगले दृश्य में आज बृज में होली रे रसिया,रंग डाल गयो कान्हा रंग डाल गयो,जैसे भक्ति आनंद को गीत-संगीत के माध्यम से मंचित किया तो मैं बरसाने की छोरी, तेरी-मेरी कट्टी होई जाएगी,जैसे गीतों पर राधा-कृष्ण का युगल नृत्य की प्रस्तुति दी।वहीं, आनंदीलाल ने कृष्ण भक्ति से सजे तोरा मुख देखन को और मीठी-मीठी मोरे सांवरे की बंजी बाजे,जैसे भक्ति गीत पेश किए तो हे प्रीत जहां की रीत सदा,और अबके बरस तुझे धरती की रानी,जैसे देशभक्ति गीत भी पेश किए। कार्यक्रम की अगली कड़ी में काली चिड़ी…, फुटली तगारी तेरे नाम पे…, मोटर सायकल प बठी न जाए वारु संजना…, तारा निडाली रातली तीखी छम छमा छम नाचे वो… जैसे आदिवासी लोकगीत भी गाए।