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*पीएम आवास बना तो चैतुराम को मिली कच्चे मकान से मुक्ति…*

जांजगीर-चांपा सबकी आश होती है कि वह अपने पक्के मकान में रहे और इस सपने को पूरा करने के लिए वह अपनी पूरी जमा पूंजी लगाने के लिए भी तैयार रहते हैं, लेकिन जब जमापूंजी ही न हो तो घर का सपना देखने की आश सिर्फ आश ही बनकर रह जाती है। ऐसी ही घर की आश रखने वाले लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) सहारा बनकर उनके सामने आता है। ऐसा ही सहारा जनपद पंचायत बलौदा विकासखण्ड की ग्राम पंचायत जर्वे ब में रहने वाले चैतुराम यादव का बनकर आया और उनके कच्चे मकान को पक्का बनाकर दिया। चैतुराम का मकान क्या बना उनकी मन की मुराद पूरी हो गई। परिवार के साथ वह नई और पुरानी यादों के साथ वर्तमान में खुशहाली के साथ पक्के मकान में रहते हैं।

जांजगीर-चांपा जिले के विकासखण्ड बलौदा की ग्राम पंचायत जर्वे ब में अपने कच्चे मकान में पत्नी और बच्चों के साथ रहते थे, कच्चे मकान को पक्का बनाने की चिंता भी खाये जा रही थी। जितनी मजदूरी करते उससे बमुश्किल परिवार का पालन पोषण हो पा रहा था, ऐसे में टूटे-फूटे मकान में जैसे-तैसे करके जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ाकर गुजर बसर कर रहे थे। सुबह उठते ही उनके सामने अपने कच्चे मकान को पक्का मकान बनाने का ही विचार रहता था। पाई पाई जोड़ने के बाद भी उनके पास इतना पैसा जमा नहीं हो पाया कि वह घर बनाकर सपने को सच कर सके, लेकिन कहते हैं जहां सांस है वहीं पर आश है, और उनके आश और सपने को हकीकत में बदलने का काम प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के माध्यम से वर्ष 2020-21 में आवास स्वीकृत करते हुए किया गया। चैतुराम बताते हैं कि पुराना आवास टूट फूट गया था, बारिश के दिनों में बहुत परेशानियों के साथ गुजारना पड़ता था, लेकिन पीएम आवास बनने के बाद बेहतर जिंदगी का सपना साकार होने लगा। पीएम आवास योजना से 1 लाख 20 हजार रूपए की स्वीकृति हुई और इसके साथ ही शौचालय का निर्माण और महात्मा गांधी नरेगा से 90 दिन की मजदूरी भी मिली। इसके अलावा उनके परिवार को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के माध्यम गैस कनेक्शन भी मिला जिससे उन्हें चूल्हे पर खाना बनाने की चिंता से मुक्ति मिल गई। वह कहते हैं कि सरकार की सकारात्मक सोच और जनकल्याणकारी योजनाओं के चलते ही हम जैसे गरीबों के पक्के आवास बन पाना संभव हो रहा है।

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