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*छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष द्वारा महिला उत्पीडन से संबंधित प्रकरणों पर की गई जनसुनवाई...*

जांजगीर-चापा छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने आज कलेक्टोरेट कार्यालय सभाकक्ष में महिला उत्पीडन से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 247 वीं जन सुनवाई हुई। जांजगीर-चांपा जिले में कुल 9वी जन सुनवाई है।

आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में दोनो पक्ष उपस्थित थे। आवेदिका के दो बच्चे है आवेदिका लगभग दो वर्षों से अपने मायके में निवास कर रही है। दोनो पक्षों के बीच सुलहनामा का प्रयास कराया गया जो असफल रहा। अनावेदक पति ए.सी.सी.एल. में जनरल मजदूर कैटेगिरी में कार्य करता है। जिसका कुल वेतन 54 हजार एवं कटने के बाद कुल वेतन 36 हजार है का पे-स्लिप आयोग में प्रस्तुत किया लेकिन इसके बावजूद पिछले डेढ साल से अपनी पत्नि और बच्चों को कोई भी राशि भरण-पोषण में नही दे रहा है। उसका कहना है कि उसे बच्चों से मिलने नही दिया जाता। आयोग के द्वारा दोनो पक्षों का समझाने का काफी प्रयास किया गया कि दोनो बच्चों के हित में आपस में सुलहनामा करलें और भरण-पोषण राशि के एवज में राशि तय कर ले इस पर अनावेदक ने पांच हजार रूपये देने का प्रस्ताव दिया जिसे आवेदिका ने लेने से इंकार किया आवेदिका न्यायालय में अपने प्रकरण का निराकरण चाहती है। प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्ष उपस्थिति थे। आवेदिका अन्नुराबिया प्रधान दैनिक मजबूरी के पद पर बम्हनीडीह के अफरीद ग्राम रसोईया के पद पर कार्यरत थी। उसे जुलाई 2020 से जून 2022 के बकाया वेतन पाने के लिए आयोग के समक्ष शिकायत प्रस्तुत किया है। उक्त अवधि का 1 लाख 40 हजार रूपए का वेतन अब तक अनावेदक के द्वारा प्रस्तुत अभिलेखन का अवलोकन किया गया। जिस में आवेदिका की अधीक्षिका का हस्तलिखित पत्र भी है कि आवेदिका ने कार्य किया है। चूंकि कोविड का कार्यकाल था इसलिए बीच-बीच में हॉस्टल की चौकीदारी करने को कहा था और आवेदिका ने काम किया था फिर भी आवेदिका को अनुपस्थित बताने के लिए उपस्थिति पंजी जो प्रस्तुत किया गया है। एक ही पंजी में अलग-अलग गांवों में कार्यरत कर्मीयों का उपस्थिति में हस्ताक्षर को आधार मानकर आवेदिका का वेतन काटा गया है। जिसमें आवेदिका के नाम के कॉलम के सामने लगातार ‘‘पी‘‘ अर्थीक प्रेजेंट लगा है। एक ही रजिस्टर में अलग-अलग गांवों के कर्मियों की उपस्थिति प्रतिदिन दर्ज किया जाना असंभव है।

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