कुदरत का करिश्मा या और कुछ, 12 फरवरी को छत्तीसगढ़ में मौत, के 18 घंटे बाद बिहार में लौट आई जान, बुजुर्ग को जिंदा देख डॉक्टर्स हैरान!
छत्तीसगढ़ के गढ़वा जिले में एक वृद्ध महिला की मौत हो गई थी. सबने मान लिया था कि अब वह इस दुनिया में नहीं हैं. उनके दाह संस्कार के लिए बिहार के बेगूसराय लाया जा रहा था. इसी दौरान रास्ते में ही जैसे ही बिहार की सीमा में प्रवेश किया तो उसमें जान आनी शुरू हो गई. फिलहाल उक्त महिला का इलाज बेगूसराय सदर अस्पताल में चल रहा है, जहां अभी उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है. चिकित्सकों ने भी इसे चमत्कार की संज्ञा देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ में जिस महिला को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया था. आखिर बिहार की सीमा में आते ही उसमें जान कैसे आ गई? यह चिकित्सा विज्ञान के लिए भी एक चमत्कार है.
है पूरा मामला जाने
बेगूसराय जिले के नीमा चांदपुरा की रहने वाली रामवती देवी कुछ दिन पूर्व अपने पुत्र मुरारी साव एवं घनस्याम साव के साथ छत्तीसगढ़ भ्रमण के लिए गई थीं. छत्तीसगढ़ राज्य के गढ़वा जिले में मृत महिला रामवती देवी के परिजन रहते थे. लेकिन, 11 फरवरी को अचानक रामवती देवी की तबीयत खराब हुई. तत्पश्चात परिजनों ने उन्हें छत्तीसगढ़ के ही एक निजी नर्सिंग होम में इलाज के लिए भर्ती कराया, जहां इलाज के क्रम में महिला की मौत हो गई. मौत के बाद परिजनों ने आपस में विचार विमर्श के बाद महिला रामवती देवी को घर लाने का एवं घर पर ही दाह संस्कार करने का निर्णय लिया
मृत घोषित करने के 18 घंटे बाद हुई जिंदा
इसके बाद परिजन एक निजी वाहन से रामवती देवी को लेकर बिहार के लिए रवाना हो गए. लेकिन, तकरीबन 18 घंटे गुजर जाने के बाद जैसे ही रामवती देवी बिहार की सीमा में प्रवेश किया तो परिजनों के अनुसार, औरंगाबाद के समीप परिजनों ने रामवती देवी के शरीर में कुछ हलचल महसूस की. तत्पश्चात उन्हें लेकर परिजन बेगूसराय सदर अस्पताल आए, जहां जांच के क्रम में चिकित्सकों ने भी माना की रामवती देवी में अभी भी जान बाकी है. इसके बाद आनन-फानन में उन्हें आईसीयू में इलाज के लिए एडमिट किया गया. फिलहाल महिला का इलाज चल रहा है
क्या माने इसको चमत्कार या कुदरत का करिश्मा
एक तरफ परिजन जहां रामवती देवी के पुनर्जीवित होने से खुश हैं तो वहीं पर परिजनों के द्वारा चिकित्सकों से गुहार लगाई जा रही है की रामवती देवी की बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की जाए जिससे कि उनमें जल्द सुधार हो. वहीं, सदर अस्पताल के चिकित्सक भी उक्त मामले को चमत्कार की संज्ञा देते हैं. चिकित्सक कहते हैं कि रामवती देवी का 12 फरवरी को मौत हो जाना और फिर 13 फरवरी को तकरीबन 18 घंटे के बाद उनके शरीर में जान आना, किसी चमत्कार से कम नहीं है.बहरहाल, अब अब इसे इलाज में चूक मानें या दैवीय चमत्कार या और कुछ… लेकिन जिस तरह से एक मृत महिला को उसके परिजन जहां दाह संस्कार के लिए ले जा रहे थे और एकाएक अपनी जन्मभूमि पर पहुंचने के बाद जिस तरह जानलौट आई है वह हर किसी को हैरान कर रहा है