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भारत की दो बहनों, अंजली और श्रद्धा, पारंपरिक वास्तुकला आधुनिक तकनीक को मिलाकर भवन डिज़ाइन में ऐसा बदलाव सुझाया , जिससे ऊर्जा की बचत के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित हो

भारत की दो बहनों, अंजली और श्रद्धा, जिन्होंने पारंपरिक भारतीय वास्तुकला और आधुनिक तकनीक को मिलाकर भवन डिज़ाइन में ऐसा बदलाव सुझाया , जिससे ऊर्जा की बचत के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित हो सकता है। उनके विचार और समाधान विदेशों में भी खूब सराहे गए।

बहनों ने पाया कि ऊर्जा की खपत का बड़ा हिस्सा एयर कंडीशनिंग, लाइटिंग और हीटिंग में चला जाता है। उन्होंने यह महसूस किया कि पारंपरिक भारतीय भवन डिज़ाइन जैसे जाली, चौबारा, और आंगन न केवल सुंदरता प्रदान करते थे, बल्कि प्राकृतिक वेंटिलेशन और ठंडक का बेहतरीन उपाय थे।

इन परंपरागत डिज़ाइनों को आधुनिक तरीकों और तकनीकों के साथ जोड़ते हुए उन्होंने ऊर्जा कुशल भवन डिज़ाइन का एक मॉडल विकसित किया। ऐसा संभव है कि बिल्डिंग स्वयं अपनी जरूरत से अधिक ऊर्जा का उत्पादन लें।अंजली और श्रद्धा जिन्होंने हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ़ बहरीन द्वारा आयोजित सेमिनार में ‘एनर्जी पॉज़िटिव बिल्डिंग’ विषयक प्रेजेंटेशन दिया। जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। इस सेमिनार में लगभग सौ प्रतिभागी मौजूद रहे। सरदारपुर में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में बतौर कार्यपालन यंत्री पदस्थ अंजली शर्मा ने चर्चा के दौरान इस कॉन्सेप्ट के बारे में बताया कि मैंने मेरी बहन श्रद्धा के साथ जो कि अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कांस्ट्यूशिएट में सीनियर डेटा साइंटिस्ट एनर्जी के पद पर कार्यरत हैं,ये प्रेजेंटेशन तैयार किया है। उन्होंने कहा कि यह संभव है कि भवन में रहने वालों को रोशनी,वातानुकूलन आदि के लिए परंपरागत विद्युत ऊर्जा के स्त्रोतों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। दिए प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि एनर्जी पॉजिटिव बिल्डिंग वह इमारत होती है जो अपने संचालन के दौरान आवश्यकता से अधिक ऊर्जा उत्पन्न करती है। इसे “नेट पॉजिटिव एनर्जी बिल्डिंग” भी कहा जाता है। इन इमारतों का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा की बचत करना और नवीकरणीय ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करना है।इसमें सूर्य की रोशनी से ऊर्जा उत्पन्न करना, पवन से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करना, भूमिगत ताप ऊर्जा का उपयोग शामिल है। इसके अलावा ऊर्जा संरक्षण के लिए उच्च गुणवत्ता वाली इन्सुलेशन सामग्री का प्रयोग,ऊर्जा-कुशल उपकरण और LED लाइटिंग, वेंटिलेशन सिस्टम का अनुकूलन आदि कार्य शामिल हैं। साथ ही ऐसी डिज़ाइन अपनाना जो प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन को बढ़ावा देती है।

स्मार्ट ग्रिड और बैटरी सिस्टम और ऊर्जा मॉनिटरिंग और कंट्रोल सिस्टम के ज़रिए ऊर्जा प्रबंधन के बारे में बताया गया। इन बिल्डिंग के निर्माण से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन का कम होना, बिजली बिल में कमी, बेहतर वायु गुणवत्ता और प्राकृतिक प्रकाश से स्वास्थ्य में सुधार, स्थिरता और ऊर्जा कुशल जीवनशैली को बढ़ावा के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। एनर्जी पॉजिटिव बिल्डिंग्स भविष्य की जरूरत हैं। यह न केवल ऊर्जा की बचत करती हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास में भी योगदान देती हैं। भारत जैसे देशों में इनका प्रसार पर्यावरणीय और आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय परंपराएं और आधुनिक तकनीक का मेल न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी क्रांति ला सकता है।

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