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इंद्रदेव पर भगवान कृष्ण की विजय के रूप में मनाया जाता है गोवर्धन पूजा – हारुन मानिकपुरी

राजनांदगांव:- आज कार्तिक मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि रात 8 बजे तक गोबर्धन पूजा मनाया जा रहा है। गोबर्धन पूजा का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। इसे अन्नकूट पूजन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो इंद्रदेव पर भगवान श्री कृष्ण की जीत का प्रतीक है। इस साल गोबर्धन पूजा 2 नवंबर दिन को मनाई जा रही है। यह दिन आमतौर पर दीवाली के बाद आता है यह दिन इंद्रदेव पर भगवान श्री कृष्ण की विजय के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता अनुसार, इस शुभ अवसर पर लोग अपने अपने घरों में गोबर, मेमरी, सिलयारी, गोंदा फूल, गोबर के गौरी गणेश और धान के साबुत बाली से गोबर्धन पर्वत के चित्र बनाकर उनकी पूजा उपासना करते हैं। इस शुभ अवसर पर लोग 56 व 108 तरह के पकवान बनाकर भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाते हैं और उनकी विधिवत पूजा करते हैं। इन्हीं पकवानों को “अन्नकूट” कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में खेती किसानी और पशुपालन से जुड़े लोग इस दिन बनने वाले अन्नकूट में कुम्हड़ा (कद्दू) कोचई कांदा, जिमी कांदा और दही,मही की ( मिक्स सब्जी) कढ़ी,नया चांवल के भोजन,खीर, बड़ा, पूड़ी, रबड़ी, पेड़ें,पुवा, मक्खन आदि तरह तरह की चीजें बनाकर पशुधन गाय बैल, बछिया, बछड़े और भगवान श्री कृष्ण को भोग के रूप में अर्पित करते हैं। गांवों में इस दिन पशुधन गाय,बैल,बछिया,बछड़े के जूठन खाने का रिवाज है। पौराणिक कथा एवं पूर्वजों के अनुसार,गोबर्धन पूजा (अन्नकूट) के दिन भगवान श्री कृष्ण ने देवराज इन्द्र के अभियान को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था और गोबर्धन पर्वत के नीचे समूचे वृंदावन वासियों को शरण देकर उनकी भारी बारिश से रक्षा की थी। इसके साथ ही लोगों तक यह सीख भी पहुंचाई थी कि प्रकृति से मिलने वाली हर चीजें कितनी अहम और महत्वपूर्ण है। साथ ही गोबर्धन पूजा की शुरुआत की थी। तभी से लोग इस मौके पर गोबर और साबुत अनाज से भगवान श्री कृष्ण और गोबर्धन पर्वत के चित्र को बनाकर उनकी पूजा उपासना करते हैं और अन्नकूट बनाकर उसका भोग लगाते हैं। हारुन मानिकपुरी एवं हमारी परिवार की तरफ से आप और आपके सभी परिवार को गोबर्धन पूजा अन्नकूट की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आप सदा स्वस्थ हो दीर्घायु हो।

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