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जाने जया एकादशी के व्रत से क्या होता है और यह व्रत कब मानते है, जया एकादशी व्रत कथा

जया एकादशी व्रत पारण का समय- 21 फरवरी 2024 बुधवार को प्रात: 06 बजकर 55 मिनट से प्रात: 09 बजकर 11 मिनत के मध्य कर सकते हैं।

एकादशी तिथि आरंभ- 19 फरवरी 2024 सोमवार को प्रात: 08 बजकर 49 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त- 20 फरवरी 2024 मंगलवार को प्रात: 09 बजकर 55 मिनट पर

जया एकादशी व्रत तिथि- 20 फरवरी 2024 सोमवार

।।जया एकादशी व्रत कथा।।

एक समय नंदन वन में उत्सव का अयोजन हुआ, जिसमें सभी देव और ऋषि-मुनि शामिल थे। उस उत्सव में गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं और गंधर्व गीत गा रहे थे। उनमें माल्यवान नाम का एक गंधर्व गायक और पुष्यवती नामकी एक नृत्यांगना थी। माल्यवान को देखकर पुष्यवती उस पर मोहित हो गई। वह माल्यवान को रिझाने लगी। माल्यवान पर उसका प्रभाव दिखाई देने लगा और वह सुर-ताल भूल गया। संगीत लयविहीन हो गया और उत्सव का आनंद फीका हो गया।उत्सव में शामिल देवों को यह बात बुरी लगी। देवों के राजा इंद्र ने क्रोध में दोनों को श्राप दे दिया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों स्वर्ग से पृथ्वी पर आ गए। मृत्यु लोक में हिमालय के जंगल में वे पिशाचों का जीवन व्यतीत करने लगे। वे अपने इस पिशाची जीवन से दुखी थे।संयोगवश एक बार माघ शुक्ल की जया एकादशी को उन दोनों ने कुछ भी नहीं खाया। न ही कोई पाप कार्य किया। फल-फूल खाकर ही अपना गुजारा किया। ठंड में भूख से व्याकुल उन दोनों ने एक पीपल के पेड़ के नीचे पूरी रात व्यतीत की। उस दौरान उनको अपनी गलती का पश्चाताप भी हो रहा था। उन्होंने फिर ऐसी गलती न करने का प्रण लिया। सुबह होते ही दोनों के प्राण शरीर से निकल गए। उन्हें मालूम नहीं था कि उस दिन जया एकादशी थी। अंजाने में ही उन्होंने जया एकादशी का व्रत कर लिया। भगवान विष्णु की कृपा से वे दोनों पिशाच योनि से मुक्त हो गए। वे फिर से अपने वास्तविक स्वरूप में आ गए और स्वर्ग चले गए। माल्यवान और पुष्यवती के पिशाच योनि से मुक्त हो कर स्वर्ग में आने से इंद्र आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने दोनों से श्राप से मुक्ति के बारे में पूछा। तब दोनों ने जया एकादशी व्रत के प्रभाव को बताया।उन्होंने कहा कि उनसे अनजाने में ही जया एकादशी का व्रत हो गया। भगवान विष्णु की कृपा से वे दोनों पिशाच योनि से मुक्त हो गए। इस तरह से ही जया एकादशी का व्रत करने से लोगों को अपने पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।

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